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पहली बार सितंबर से ही डेम पर निगरानी के लिए पेट्रोलिंग दल
उज्जैन | पिछले पांच सालों में पहली बार गंभीर डेम के पानी की निगरानी सितंबर से ही शुरू की जा रही है, जबकि अभी बारिश का मौसम भी खत्म नहीं हुआ है। यह स्थिति गंभीर डेम में सिर्फ 28 प्रतिशत पानी आने से बनी है। गंभीर डेम का पानी पीने के लिए सुरक्षित रहे, निगमायुक्त डॉ. विजयकुमार जे ने कलेक्टर संकेत भोंडवे को पेयजल परिरक्षण अधिनियम लागू करने के लिए बुधवार को प्रस्ताव दिया है। इसके साथ ही पीएचई अमले का निगरानी दल भी बना दिया है जो डेम के किनारे गांवों में पेट्रोलिंग कर सिंचाई के लिए डाली जाने वाली मोटरें जब्त करेगा।
गंभीर डेम पूरी क्षमता से भर जाने की स्थिति में प्रशासन अक्टूबर और नवंबर में पेयजल परिरक्षण अधिनियम लागू करता है। बीते पांच सालों में दो साल अक्टूबर और तीन साल नवंबर में यह आदेश जारी हुआ। इस साल डेम में पानी कम आने के कारण सितंबर में इसे लागू किया जाएगा। पेट्रोलिंग भी नवंबर में शुरू होती है, जो इस साल सितंबर से ही चालू होगी। जबकि जलसंसाधन के नियमों के अनुसार 15 सितंबर तक वर्षाकाल माना जाता है। प्रशासन की यह चिंता डेम और तालाबों में कम पानी होने से बनी है। कलेक्टर सोमवार को पेयजल समीक्षा बैठक में निगम को यह कह चुके हैं कि जरूरत होने पर शहर में दो दिन छोड़कर जलप्रदाय किया जाए।
शहर में जलप्रदाय के लिए नर्मदा का पानी चाहिए तो नगर निगम को 15 दिन पहले नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को सूचना देना होगी। निगम की मांग पर ही एनवीडीए उज्जैन के लिए पानी छोड़ेगा। बड़वानी के पास स्थित सिसलिया तालाब से नर्मदा का पानी लेना बंद कर दिया है। इससे उज्जैनी और देवास के शिप्रा डेम में पानी आना बंद हो गया है। इधर पीएचई गंभीर के पानी को बचाने के लिए उंडासा और साहिबखेड़ी तालाब के साथ शिप्रा के गऊघाट स्टापडेम से पानी लेकर शहर में सप्लाई कर रही है। गंभीर का एक एमसीएफटी पानी गऊघाट प्लांट भेजा जा रहा है। गंभीर के अंबोदिया प्लांट को बंद कर दिया है। शिप्रा में बारिश का पानी होने से पीला पानी होने की समस्या भी फिलहाल नहीं आ रही, इससे पीएचई को राहत मिली है। पीएचई ईई धर्मेंद्र वर्मा के अनुसार जलसंकट की स्थिति में नर्मदा का पानी मिलेगा। इसलिए जलसंकट की स्थिति नहीं बनेगी। एनवीडीए अधिकारियों के अनुसार मेंटेनेंस के लिए फिलहाल नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना की पंपिंग बंद की है। उज्जैन में जलप्रदाय के लिए पानी चाहिए तो 15 दिन पहले सूचना देना होगी, यह अधिकारियों को बता दिया है। पंपिंग बंद होने से देवास के शिप्रा डेम को भी पानी नहीं मिल रहा है।
गंभीर से रोज कम हो रहा तीन एमसीएफटी पानी
गंभीर डेम में मंगलवार की स्थिति में 646 एमसीएफटी पानी है। जबकि डेम से रोज औसत 3 एमसीएफटी पानी कम हो रहा है। 646 में से 100 एमसीएफटी डेड स्टोरेज है, जिसे सप्लाई नहीं किया जा सकता। शेष 546 एमसीएफटी पानी को 182 बार सप्लाई किया जा सकता है। जबकि गरमी बढ़ने से डेम से पानी कम होने का औसत भी बढ़ेगा। फरवरी-मार्च में यह 6 से 8 एमसीएफटी तक पहुंच जाता है।